जोड़ घटाना गुणा भाग में बैठे हैं सब लोग, पल में हारें पल में जीतें प्रत्याशी सब लोग।-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
चुनाव_और_वर्तमान परिस्थितियों पर नई रचना प्रस्तुत है... जोड़ घटाना गुणा भाग में बैठे हैं सब लोग। पल में हारें पल में जीतें प्रत्याशी सब लोग।। नफ़रत में सब प्यार घोल कर दौड़े हैं सब रोज। घुरहू और कतवारू को देखो भाव बढ़ायें रोज। जीत अगर इंसानों की हो हार गया सम्मान, गली कूच में ताक रहे हैं दाव - चाव में रोज। नहीं चाहिए गांव विकास की करें चुनाव हर रोज अफवाहों पर फौरन दौड़े गप्पी सारे लोग..... जोड़ घटाना गुणा भाग में बैठे हैं सब लोग, पल में हारें पल में जीतें प्रत्याशी सब लोग।। पानी बिकने लगा हंसी हो हवा बिके परिहास नहीं होश है मानव संकट में हार रहा इतिहास। जब भी रावण खड़ा सामने दिख जाये लो चेत, संहारक हैं कृष्ण धरा की करें श्रीराम सा हेत। उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हाहाकार चहुंओर, लेकिन तृष्णा नहीं गयी है गज़ब चरित्र के लोग... जोड़ घटाना गुणा भाग में बैठे हैं सब लोग, पल में हारे पल में जीते प्रत्याशी सब लोग।। गांव पंचायत बनने को रहा चुनाव पर जोर, मानवता अब शर्मसार है मृत्यु है हर ओर। फिल्म उजाले में बनता है सभी जानते लोग, वही फिल्म जब दिखे हाल में अन्धकार हर ओर। हमने सारी राजनीति की पढ़ी विष