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अमरनाथ सोनी अमर

ताटंक छंद सत्य- सनातन हिन्द देश में ,                 अब अभियान चलाना है| इस धरती का तमस मिटे अब,                  ऐसा दीप जलाना है|| मानव -धर्म एक है केवल,                     सत्य -मार्ग पर चलना है| सर्व -धर्म सम भाव में रहना,                     हिंद धर्म का गहना है|  सत्य-अहिंसा बनो पुजारी,                     गांधी मग अपनाना है|| इस धरती का तमस मिटेअब,                    ऐसा दीप जलाना है|| सत की राह हमेशा चलकर,                    देश विकास कराना है| नही गुजारा सत से होता,                  असत मार्ग अपनाना है|| क्योंकि सत से असत न पिघले,             मुझको असत गलाना है| इस धरती का तमस मिटे,             अब,ऐसा दीप जलाना है|| अब भारत के सभी वृक्ष में,                    सुन्दर फूल सजाना है|              उसके लिए जान की बाजी,               हमको सदा लगाना है |                 तभी मिलेगा निज स्वतंत्रता,                      यह इतिहास पुराना है|  इस धरती का तमस मिटे अब ,                  ऐसा दीप जलाना है||                                      अमरनाथ सोनी "अमर " 9302340662

अनूप दीक्षित राही

 मुहब्बत की फिर से जरा शुरुआत तो कीजिए। अजी एक बार हमसे मुलाकात तो कीजिए।। * दरम्यां क्यों हो गये हैं इतने से फासले। जरा अपने आप से तहकीकात तो कीजिए।। * सूखा पड़ा था कबसे मेरे दिल के दरीचे मे। थोड़ी सी चाहतों की बरसात तो कीजिए।। * कितने सावन आये और आकर बरस गये। जाना आके ज़िन्दगी मे कुछ करामात तो कीजिए।। * नाकाबिल समझ कर हरदम तुम दूर ही रहे। काबिलियत पर मेरे इतने न सवालात तो कीजिए।। * आया हूं तेरे शहर मे बनकर के मुसाफिर। अपना न सही गैर ही समझकर कुछ बात तो कीजिए।। * अनूप दीक्षित"राही उन्नाव उ0प्र0