विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल के अवसर पर ग्रीन आइडल अवार्ड से सम्मानित हुए दयानन्द त्रिपाठी
- विश्व पृथ्वी दिवस पर आयोजित डिजिटल अर्थ डे कार्यक्रम में दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला सम्मान
महराजगंज। विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में रसकेंद्र गौतम को प्रतिभाग करने पर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है।
गौरतलब है कि श्रीमती द्रोपदी देवी मेमोरियल ट्रस्ट, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर धरती माता को बचाने और ग्रासरूट स्तर पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ट्रस्ट के संयोजक डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि विज्ञान संचारक अमरेन्द्र शर्मा तथा मुख्य अतिथि महराजगंज जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल अर्थ डे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में भारत के प्रत्येक प्रांत से प्रतिभागियों ने धरती को बचाने के लिए अपने प्रयासों के माध्यम से कविता, लेख, पोस्टर तथा नाटक भेजकर प्रतिभाग किया।
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित डिजिटल अर्थ डे कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी ने बताया कि झाँसी के शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल की पृथ्वी दिवस के मौके पर भेजी गई रचनायें सर्वश्रेष्ठ सृजन में शामिल हुई। गौरतलब हो कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते ये कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया।
इस अवसर पर दयानन्द त्रिपाठी को सम्मानित करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने कहा कि धरती ही एकमात्र ऐसा ग्रह जहाँ पर हम रह सकते है। आज जरूरत है कि हम सब लोग एकसाथ धरती बचाने के लिए समन्वित प्रयास करे। इस अवसर पर ग्रीन आयडल अवार्ड से सम्मानित होने पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष केशवमणि त्रिपाठी, सत्येंद्र कुमार मिश्रा, बैजनाथ सिंह, राघवेंद्र पाण्डेय, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय दूबे, मनौवर अंसारी, चन्द्रभान प्रसाद, राकेश, अखिलेश पाठक, अभय दूबे, हरिश्चंद्र चौधर आदि लोगों ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई तथा शुभकामनाएं देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।
विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल
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तेरे सुमन से जग विख्याता
तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।
स्वच्छ सांची से तन-मन को,
पुलकित करने वाली है
तेरी ममता की छावों में
हरे भरे वृक्षों कि
शोभा बड़ी निराली है
जल जीवन तेरा सबको भाता
तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।
शस्य श्यामला धरा कहीं पर
कहीं पर्वत और पठार है
तेरी गोदी में श्रीराम का तीरथ
तूँ सबसे बड़ी ममता सी कीरत
तेरे दिये समीर से सब जन
जग में जीवन की प्यास बुझाता
तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।
भले आसमाँ अनेक रंग धरे
तुझको ही सब सुहाता है
कौन सा जीव किस तरह बने
तूँ जननी बन जन्माती है
"व्याकुल" विनय करता है
करें न हम तुझको खंडित
यह स्वच्छ भाव मन में आता
तुझको नमन हे ! पृथ्वी माता।।
रचना - दयानन्द त्रिपाठी
व्याकुल
लक्ष्मीपुर, महराजगंज,
उत्तर प्रदेश।
सबकी जननी पृथ्वी दिवस के सुअवसर पर आप सबको दिल की असीम गहराइयों से हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
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