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21 मई आतकंवाद विरोधी दिवस एवं भारत रत्न स्व0 राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर प्रस्तुत है एक कविता.......सत्य, अहिंसा, भाई-चारा सबसे बड़ा संदेश....क्लिक कर देखें ।

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आतंकवाद  की   काली  छाया से,
भयभीत     हमारा    देश     हुआ।
चारों   ओर   कोलाहल    मचा   है,
बदला - बदला  सा  परिवेश   हुआ।

प्रतिदिन    कितने   जन   हैं   मरते,
ना जाने कितने  घर-सिंदूर  उजड़ते।
कितने    माँताओं  की   गोदी   सूनी,
तिमिर  फैला   विनाश  हो रही  दूनी।

भारत  भाग्य   की  कैसी  बिडम्बना,
आतंकवाद से नहीं है बचता परिवेश।
नहीं किसी का भला हुआ है ना होगा,
चाहे  जितना  कर लें  आतंकी  प्रवेश।

इससे  सभी  के  जन जीवन  में  होगा,
केवल  ईर्ष्या,  जलन, रागद्वेष,  विद्वेष।
अगर  खत्म  करना है  जड़ से आतंक
बाँटो सुख-शान्ति का चारों ओर सन्देश।

परिणाम    भंयकर   हो   सकता   है,
अगर नहीं लगा  आतंक  पर  आवेश।
आतंकवाद जब बढ़ सर चढ़ जाता है,
मानव जाति भी हो जाता  है  अवशेष।

सबको  खाली  हाथ  है  आना  जग में,
व्याकुल खाली हाथ ही जाना है हे! ईश
गांधी-बुद्ध के राहों को जग ने मान दिया,
सत्य,अहिंसा,भाई-चारा सबसे बड़ा संदेश।
   रचना - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
               महराजगंज, उत्तर प्रदेश।

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