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गुरु जी लोगों ! नौकरी और जलवा दोनों विरोधाभाषी शब्द हैं आप क्या कहते हैं ? क्लिक कर पढ़ेंं यह रचना

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सब  कुछ   खोकर,
         थोड़ा  पाना..
जीते   जीते,  मरते 
                  जाना..
यही हक़ीक़त  यही
               फ़साना..
यह    जीवन    का
           ताना-बाना..

लेकिन कभी निराश
                 न होना..
मोती    जैसे   सीप
              में  रखना..
वही   दिखाना  जैसे
                 दिखना..
पानी  से   पानी  पर
                 लिखना..

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टिप्पणियाँ

  1. कमाल कर दिया आपने ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ! साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुत्ति साधुवाद श्री त्रिपाठी जी ।
    साहित्य के प्रति आपकी सक्रियता को नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सराहनीय कार्य

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सराहनीय ,🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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