काव्य रंगोली हिन्दी साहित्यिक पत्रिका समबद्ध श्याम सौभाग्य फाउंडेशन के श्याम सौभाग्य जन्मोत्सव पर रचना प्रस्तुत किया था देखें जिस पर अभी-अभी मिला सहभागिता सम्मान-पत्र क्लिक कर रचना देखें ।
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श्याम सौभाग्य की लूट है लूट सके तो लूट,
मन में निराशा हो श्याम नाम की पीलो घूंट पे घूंट।
श्याम सौभाग्य फाउंडेशन पर भई कवियों की भीर,
जन्मदिन को सुफल होवें आशिवार्द देवें एक से बढ़कर एक कवि गंभीर।
धन की गति बस तीन हैं दान, भोग और नाश,
श्याम सौभाग्य जी प्रगति करें ये है मेरा आशीष।
मन के हारे हार है मन के जीते जीत,
श्याम रटत ही प्रभु मिलें कर लीजै परतीत।
ज्यों तिल माही तेल है ज्यों चकमक में आग,
वैसे हैं श्याम सौभाग्य संस्था मिले हैं बड़ि भाग।
दु:ख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय,
जो सुख में श्याम नाम रटौ तो दु:ख कांहे को होय ।
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धर्म कह रहा बोल-बोल कर,
प्राण मिला है कुछ करने को
इस जन्म को सफल बनाओ
दे दे प्रेम सब जन नर को
बढ़ रहा दिन जन्म श्याम सौभाग्य का
कर दे सब कुछ समर्पित प्रभु धाम को
भ्रम,सुन,चेत, राम का वन्दन कर
दिन कछु काल खाता जा रहा
यह प्रेषित नहीं अंतिम बधाई
आपका जन्मोत्सव फिर आ रहा।
रचना दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
महराजगंज, उत्तरप्रदेश।
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