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महराजगंज : पर्यावरण दिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी में दयानन्द त्रिपाठी को मिला सम्मान

महराजगंज : पर्यावरण दिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी में दयानन्द त्रिपाठी को मिला सम्मान 


जनवादी पत्रकार संघ के तत्वाधान में जनवादी परिचर्यम साहित्य संघ मध्यप्रदेश के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस को आयोजित ऑनलाईन काव्यगोष्ठी कार्यक्रम के अंतर्गत 425 से अधिक साथियों/सदस्यों/रचनाकारों द्वारा प्रतिभागिता की गई जिसके अंतर्गत पर्यावरण पर आधारित रचना/विचार ऑडियो व लेखन के माध्यम से प्रेषित करने हेतु मंच द्वारा प्रशस्ति पत्र भेंट कर 94 रचनाकारों को सम्मानित किया जा रहा है इसी क्रम में  उत्तर प्रदेश महराजगंज से दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को प्रशस्ति पत्र देकर आज सम्मानित किया गया । सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं जिन्होंने इस आयोजन में अपनी सहभागिता देते हुए अपना बहुमुल्य समय निकाल कर इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया तथा मंच को गौरवान्वित किया।

आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह था कि;
◆हम सभी अपनी धरा को हमेशा स्वच्छ बनाये रखेंगे।
◆ हम अपनी धरा पर पानी का बचाव करेंगे व जल सुरक्षित करेंगे।
◆ हम अपनी धरा को प्रदूषित होने से बचाएंगे।

◆ हम सभी मिलकर वृक्षारोपण को बढ़ावा देंगे।

कार्यक्रम सम्पादक व संचालन मण्डल टीम में श्री राजकुमार सिंह भदौरिया (राष्ट्रीय सचिव) श्री नरेंद्र प्रताप सिंह सह संपादक साहित्य व राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी, सुश्री कंचन झारखण्डे लेखिका व साहित्य संपादक (संघ) महासचिव-जनवादी वुमेंस विंग, श्री देवानंद नायक साहित्य यांत्रिकी प्रमुख एवं समाचार संपादक जनवादी पत्रकार संघ, सुश्री पूजा गुप्ता मंच व्यवस्थापक, आद0 प्रियदर्शिनी तिवारी प्रयागराज उत्तर प्रदेश (कार्यक्रम संयोजक व सरस्वती वंदन उद्घाटक), आद0 दीपक क्रांति (कार्यक्रम संयोजक व काव्यगोष्ठी एंकर) ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका निभायी है।


आया  है  मानसून  सुहाना 

खड़ी   जून   के   भावों  में 

एक एक वृक्ष सभी लगा दें

तो  सुन्दर  होगा   राहों  में।


आज   प्रकृति   जो  कूपित  है

मानव   के   कुटिल   चालों  से

पर्यावरण  को  दूषित  कर  रहा

निजी  स्वार्थ  के  विकरालों  से।


जल, थल, नभ को करें सुरक्षित

भौतिकवादी      जंजालों      से

दिव्यता     से    भरी    धरा    है

अनुपम बगियों  के  घुघुरालों से।


युद्धों    का    आगाज   सदा 

करते   हरबा    हथियारों  से

धरा   नहीं  न   मानव   होगा

तो  क्या  करोगे  चौबारों  से।


जीवन   साँस   तभी   तक  है

जब प्रकृति  दे रहा ममत्व  हमें

पर्यावरण    का    होगा   दोहन

तो संकट का घेरेगा  घनत्व हमें।


जब-जब प्रकृति  का  हुआ दोहन

मानव  अस्तित्व  घिरा  संकट  में

यदि अब  प्रकृति को  नहीं समझे

तो फिर कोई कोरोना होगा धरा में।


    मौलिक रचना:-

दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

महराजगंज,  उत्तर प्रदेश ।

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