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कारगिल विजय दिवस सभी वीर जवानों को समर्पित करता हूं यह कविता-आदर्शों की खातिर हिन्द ने, जाने कितने प्रतिघात सहे...क्लिक कर पूरी रचना पढ़े।

कारगिल विजय दिवस सभी वीर जवानों को समर्पित करता हूं यह कविता-आदर्शों की खातिर हिन्द ने, जाने कितने प्रतिघात सहे...क्लिक कर पूरी रचना पढ़े।

कारगिल विजय दिवस सभी वीर जवानों को समर्पित करता हूं यह रचना...जयहिंद 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌷🌷🌷

आदर्शों की खातिर हिन्द ने
जाने कितने प्रतिघात  सहे
प्रतिघातों  को  सहकर  भी
अपने मौलिक आकार रहे।

सेना   के   यश   अर्जन   में
हर   वीर   देव   दूत   सा  है
यह  विजय  पर्व  का  उत्सव
हर वीर धरा का ईश्वर सा है।

वीरों के कर्तव्यों की दृढ़ता से
दुश्मन भी हुंकारों से थर्राते हैं
क्या   सत्यपथी  भारत  भूमि
सौगन्धों  में  भी  बंध  जाते हैं।

संघर्षों  के  सभी  आघातों  को
भूल  न   जाना  विजय  पाकर
मेरे वीर जवानों गाड़ना है तिरंगा
दुश्मन  की  छाती  पर  जाकर ।

अतताइयों  के  बध  संग  ही
कारगिल भूमि खाली करवाया
पर   अभी   दानवी   वृत्ति  का
साम्राज्य  नहीं  है  मिट  पाया।

वीरों  ने  अपने  लहू  से  सींचा
ये  पावन धरा है  शौर्य दिखाया
अपने  देह  को  त्याग  हिन्द में
है नमन जन्नत का राह बनाया ।

  भारत माता की जय-जयहिंद


रचना -दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
        महराजगंज, उत्तर प्रदेश ।

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