शोर है हर तरफ जंगे हालात का
साजिशें तोड़ने की मकां रेत का
जान पहचान इतनी निकालो न तुम
और मतलब निकल जाएगा बात का
देखता जब भी हूँ जुल्फ खोले उसे
गुनगुनाता हूँ मुखड़ा किसी गीत का
आ न जाना ज़माने की बातों में तुम
रास्ता ये दिखा दें हवालात का
देखना वक़्त मेरा गुज़र जाएगा
जिक्र होगा नही फिर से इस रात का
आसमां आ मिलेगा ज़मी से कभी
कौन है जो करेगा यकीं बात का
बात झूठी नहीं कोई कहता यहाँ
झूठ सच बन गया ज़िन्दगी मौत का
(जंगे हालात- जंग ए हालात)
रचनाकार आशु शर्मा
मुम्बई
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