परम पावन मंच का सादर नमन
सुप्रभात
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तप मूरत मैया जगदम्बे
सौम्य स्वरूप मातु हे अम्बे
वेद पुरान नही सकें बखानी
महिमा तेरी अकथ कहानी।
सिन्दूरी चुनरी अंग में साजें
पुष्प हार माँ कंठ विराजें
मुख प्रसन्न तन तेज स्वरूपा
कमल नयन करूणा मयी रूपा।
भयहारिणी भव तारिणी माता
तुम ही जग की भाग्यविधाता
द्वार तिहारे जो भी आता
मनवांछित फल वो सब पाता।
पल पल बरसती दया तुम्हारी
ध्याये तुमही सकल नर नारी
चरण कमल जाऊँ बलिहारी
सुनो दयामयी अरज हमारी।
मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर
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