चौपाई
आराधना
शिव शंकर तुम औघड़ दानी।
गौरा शिव की है पटरानी ।।
नीलकंठ जब नाम कहाया।
शीतल जल है दूध चढ़ाया।।
गौरा जी ने ताप संभाला।
ठंड़ी कर दी सारी हाला।।
बरखा का मौसम मनभावन।
शंकर भोला अति सुखपावन ।।
शिव शंकर कैलाश निवासी।
ॐ नाद निर्गुण अविनाशी।।
गंगा शिव के शीश विराजे ।
चँदा सुंदर भाल पर साजे ।।
एक हाथ में धनुष उठाया।
दूजे डमरू खूब बजाया ।।
शिव शंकर पंचाक्षर सुंदर ।
रख लो मन मंदिर के अंदर।।
स्वरचित
निशा अतुल्य
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