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चंद्रप्रकाश गुप्त चंद्र

शीर्षक - (भारत रत्न) ए पी जे अब्दुल कलाम

पंद्रह अक्टूबर उन्नीस सौ इकतीस तमिलनाडु रामेश्वर कस्बे में जन्मा अरुण ललाम

जैनुलाबदीन आशियम्मा के घर प्रकटा सपूत आदर्श महान अनाम

जो आगे चलकर बना अति प्रखर ज्योतिपुंज अब्दुल कलाम

भारत सदा ऋणी रहेगा हम सब करते हैं उन्हें कोटि कोटि प्रणाम

सादा जीवन उच्च विचार उनके कर्म रहे सदा निष्काम

सर्व धर्म समभाव के प्रतीक रहे बढ़ाते रहे मान देश का अविराम

सदैव कर्म में विश्वास किया स्व स्वार्थों को दिया विराम

भारत की पावन पुण्य धरा का कण कण करता तुम्हें सलाम

सदा अनुसंधान रत रहे पाये बहुत बहुत पुरुस्कार सम्मान

पहले वैज्ञानिक वैमानिकी बने फिर बने भारत राष्ट्र प्रधान

जीवन भर शाकाहार किया कभी किया न मदिरा पान

विक्रम साराभाई से प्रेरणा पाई, नासा से लौट बनाया 'नाइक अपाचे' राकेट विमान

पद्म विभूषण  भारत रत्न बने , बने मिसाइल मेंन प्रखर महान

इगनीसाइड माइंड, विंग्स आफ फायर , सदा रहेंगे युवाओं के तीर-कमान

सत्ताईस जुलाई दो हजार पंद्रह की शाम अस्ताचलगामी हो गया भारत का अभिमान

युग पुरुष युग दृष्टा थे कलाम तुमको युगों-युगों तक याद करेगा हिन्दुस्तान

                    जय भारत

         चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
                (ओज कवि)
          अहमदाबाद , गुजरात
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         सर्वाधिकार सुरक्षित
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