महादेव वंदना
डमरू जब तेरा बजता , मन को लगता है प्यारा।
शिव भोले जग के स्वामी , तेरा बोलूँ जयकारा।
तू मेरे मन को भाया , मैं दौड़ा दर पर आया।
शुचि कंज सुमन ले कर मैं , मैं पान सुपारी लाया।
आओ शिव शंकर भोले , सब भक्त मनाने आए।
यह खाली झोली भर दो , सबने है शीश झुकाए।
तू सबको वर है देता , शिव शंकर भोला भाला।
तब से ही आ कर मैंने , दर तेरे डेरा डाला।
नटराज कहे सब तुमको , तुम हो इस जग के स्वामी।
दर रुद्र खड़ा कर जोड़े , सुन लो कुछ अंतर्यामी।
रावण को वर दे डाला , कुछ सुन लो विनय हमारी।
मैं बालक हूँ प्रभु तेरा , वर दे दो हे त्रिपुरारी।
संदीप कुमार विश्नोई रुद्र
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें