*माँ विद्या का दान दे दे*
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माँ शारदे की सूरत
मन को लुभा रही है,
वीणा से मातेश्वरी
झंकार ऐसी कर दे,
अज्ञानता को माँ शारदे
जीवन से मेरे मिटा दे।
है ज्ञान की कमी माँ
तम ने है मुझको घेरा,
अज्ञानता ने आकर माँ
दिल में किया बसेरा,
श्रद्धा के तेल से माँ
दीपक तेरा जला रहा हूँ।
एक ही आस तुम हो
बाकी है ये जग झूटा,
विश्वास बस तुम्हीं तुम हो
माँ शारदे करुणा बरसाओ,
अज्ञानी कह कर ये दुनिया
मुझको बुला रही है।
खुल जाय बन्द चक्षु
ऐसी विमल बुद्धि माँ दे दो,
भर दो कलम में स्याही
भाओ के द्वार माँ खोल दो,
विद्या के दान से माँ
झोली तू मेरी माँ भर दे।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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