ग़ज़ल--
चाय पर फिर बुलाया बड़ी बात है
प्यार मुझ पर लुटाया बड़ी बात है
इतना मसरूफ़ रहते हो फिर भी मुझे
फोन तुमने मिलाया बड़ी बात है
आज मिलना है हमको उसी मोड़ पर
याद यह भी दिलाया बड़ी बात है
मेरे प्यासे लबों की तड़प देखकर
जाम भर कर पिलाया बड़ी बात है
दूरियाँ जल्दी सारी ये मिट जायेंगी
यह भरोसा दिलाया बड़ी बात है
मुझ में मंज़िल को पाने की हैं ख़ूबियाँ
आइना यह दिखाया बड़ी बात है
तुमने मेहनत के बल पर ही साग़र यहाँ
नाम इतना कमाया बड़ी बात है
🖋️ विनय साग़र जायसवाल, बरेली
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