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रामकेश एम. यादव

डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम!

तुझे महकता फूल कहूँ या,
तुझे  अनंत  आकाश कहूँ।
पूर्व राष्ट्रपति  मिसाइल मैन,
या तुझे मैं  हिंदुस्तान  कहूँ।

कलम में इतनी  शक्ति नहीं,
मैं कैसे तेरा गुणगान करूँ?
हे!   कर्मयोगी,   शिक्षाविद,
किन शब्दों में  बयान करूँ।

युवा पीढ़ी की शक्ति थे तुम,
जाति - पाँत से  परे थे तुम।
फकीराना  जिंदगी  जीकर,
देश - प्रेम   से  भरे  थे तुम।

अग्नि, त्रिशूल, पृथ्वी, नाग,
और  बनाए   एटम -  बम।
आज हमारी ताकत जग में,
नहीं  किसी  से देखो  कम।

अनुशासन प्रिय, शाकाहारी,
कितने  अच्छे  कवि थे तुम।
अंतरिक्ष,  स्पेस की  दुनिया,
के   भी   सिरमौर  थे   तुम।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई

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