हरिहरपुरी के रोले
ममता मानव वृत्ति,सहज पहचान दिलाती।
दुख के आँसू पोछ,जगत को दूध पिलाती।
ममता खाती मार, मनुज जब होत अमानुष।
ममता से संवाद,नित्य करता है मानुष।।
ममता में है स्नेह,भाव की पावन सरिता।
ममता अमृत तुल्य, रचा करती प्रिय कविता।।
यह संवेदनशील, दिव्य पावन हितकारी।
ममता का शुभ राज्य, लोकमंगल शिवकारी।।
ममता को मत त्याग, पकड़ इसकी प्रिय बाहें।
यह मधुमय जीवंत, दिखाती दैवी राहें।।
ममता की नित राह, पकड़ कर चल आजीवन।
सब जीवों में बैठ,रचो सुंदर मन उपवन।।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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