बालगीत- चंद्र खिलौना!
मात्रा भार- 16-14.
हम तो चंद खिलौना लेंगें,
जल्दी लाओ मैया तुम!
नहीं दुग्ध मैं पान करूँगा,
ना श्रृंगार कराऊ़ँ मैं!!
हठ जब बाल किये बैठाहै,
खडी़ मात है दुबिधा में!
कैसे चंद खिलौना दें अब,
कैसे इस समझाऊँ मैं!!
युक्ति एक सूझी माँ मन में,
ले परात जल लायी वह!
रखी भूमि तब छाया आया,
ले --लो चंदा लायी मैं!!
फद-फद करके लल्लाखेले,
मात -पिता मुस्काय रहे!
इच्छा लल़्ला पूर हुआ है,
अब इच्छित दे पायी मैं!!
अमरनाथ सोनी "अमर "
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