शिव महिमा दोहा गीतिका
तुकांत- मृगछाल भाल बाल लाल पाल ताल माल ढाल चाल धमाल कमाल
पदांत -आल
1 सावन में सब पूजते,चढें धतूरा भाल।
शंकर जी का नाम हैं,कहें सब महाकाल।।
2आशुतोष शंकर कहे,करना बेड़ा पार।
कृपा दृष्टि रखना सदा,पहने ये मृगछाल।।
3ज्योतिर्लिंग को पूजता,भक्त बड़ा नादान।
संकट सारे काटते,हो वो मालामाल।।
4तीन लोक के नाथ हो,त्रिपुरारी है नाम।
दुनियाँ सारी पूजती,बदले उनकी चाल।।
5 शंकर भोले हैं बड़े,पल में जाते मान।
पर्वत इनका धाम है,नाचे ढोलक ताल।।
6कृपा अपनी रखें सदा,हे भोले नटराज।
संकट आया देश पर, तांडव करे कमाल।।
7 भजलो शिव शंकर सदा,करते सबके काज।
महिमा अपरंपार हैं, गणपति इनके लाल।।
8विष को जब धारण किया,
नीलकंठ फिर नाम।
शंकर भोले नाथ है,अद्भुत करें धमाल।।
9दुग्ध का अभिषेक करें,पुण्य मिले महान ।
सर्प लगे गलहार हैं,भूत प्रेत बन ढाल।।
10 गंगाधर कैलाशपति,भोले के है नाम।
राम पूजते हैं इन्हें,भूल सभी जंजाल।।
अलका जैन आनंदी ©®
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