कारगिल शौर्य दिवस पर
आँसू न बहाओ उन पर तुम ,
जो लौट के घर ना आये ।
देखो न कलाई दुल्हन की,
न देखो माँग सुहागन की ।
मातु पिता के आंसू न बहें
थे वतन के लाल अनोखे ।
वे दधीचि से वज्र बने ,
सब अमर वीर सेनानी हुए ।
वर्षों सीमा पर जगने वाले ,
अब सुख निद्रा में सोए है ।
ओढ़ तिरंगे की चादर वे ,
नव सपनोंमें खोए है ।
शत्रुओं के बंकर ध्वस्त किये ,
ढूढ़ आतंकी खत्म किये ।
तनिक न किया आराम,
रणभेरी में दिन रैन रहे ।
रवि शशि भी करे नमन उनको ,
दुलराये धरा पल छिन उन्हें ।
इक सांध्य दीप जले नाम उनके ,
सूरज तारे दिखाये नवरूप उनके।
आँसू न बहाओ उन पर तुम ,
जो लौट के घर ना आये ।
डॉ अर्चना प्रकाश लखनऊ
मो 9450264638
जय कैलाशवासी
जय जय शिव शम्भू जय कैलाशवासी ,
हमें अपनी शरण लेलो हे अविनाशी ।
भक्ति की गंगा में डूब जाएं,
अमरकथा का अमृत रस पाए।
हमें अद्भुत शक्तिदेदो घटघट वासी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी ।
गौरी सा सूंदर तन मन पाएं,
गणपति सा बुद्धि विवेक बरसाये
हमें अटूट लगन देदो हे शिवकाशी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी।
सर्पों में चंदन बन जाएं,
विष को अमृत कर पी जाएं ।
हमें इतनी प्रज्ञा देदो त्रैलोक्यवासी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी ।
हमें अपनी शरण लेलो हे अविनाशी ।
डॉअर्चना प्रकाश
लखनऊ
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