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डॉ अर्चना प्रकाश

      कारगिल शौर्य दिवस पर 

     आँसू न बहाओ उन पर तुम ,
     जो लौट के घर ना आये ।
       देखो न कलाई दुल्हन की,
        न देखो माँग सुहागन की ।
        मातु पिता के आंसू न बहें 
        थे वतन के लाल अनोखे ।
        वे दधीचि से वज्र बने ,
        सब अमर वीर सेनानी हुए ।
      वर्षों सीमा पर जगने वाले ,
       अब सुख निद्रा में सोए है ।
       ओढ़ तिरंगे की चादर वे ,
       नव सपनोंमें खोए है ।
       शत्रुओं के बंकर ध्वस्त किये , 
         ढूढ़ आतंकी खत्म किये ।
       तनिक न किया आराम,
      रणभेरी में दिन रैन रहे । 
       रवि शशि भी करे नमन उनको ,
        दुलराये धरा पल छिन उन्हें ।
      इक सांध्य दीप जले नाम उनके ,
     सूरज तारे दिखाये नवरूप उनके।
     आँसू न बहाओ उन पर तुम ,
     जो लौट के घर ना आये ।
       डॉ अर्चना प्रकाश लखनऊ 
      मो 9450264638


जय कैलाशवासी

जय जय शिव शम्भू जय कैलाशवासी ,
हमें अपनी शरण लेलो हे अविनाशी ।
   भक्ति की गंगा में डूब जाएं,
    अमरकथा का अमृत रस पाए।
हमें अद्भुत शक्तिदेदो घटघट वासी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी ।
          गौरी सा सूंदर तन मन पाएं,
        गणपति सा बुद्धि विवेक बरसाये
हमें अटूट लगन देदो हे शिवकाशी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी।
             सर्पों में चंदन बन जाएं,
            विष को अमृत कर पी जाएं ।
 हमें इतनी प्रज्ञा देदो त्रैलोक्यवासी ,
जय जय शिवशम्भु जय कैलाशवासी ।
हमें अपनी शरण लेलो हे अविनाशी ।
        डॉअर्चना प्रकाश 
               लखनऊ

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