एक हिंदी गजल
समान्त उल
पदान्त नहीं
मात्रा भार 16
बेटी है आगन की बुल बुल।
करती सदा उजाला दो कुल॥
कन्या दान करो पुत्री का।
"सत्य" बने वैतरणी का पुल॥
प्रेम जगत में सार बताया।
जिसमें ढाई अक्षर है कुल॥
जिसके हृदय जमें ये अक्षर।
उसको स्वर्ग द्वार जाता खुल॥
प्रायः लोग मिले कुछ ऐसे।
मुँह मीठा विष रहा हृदय घुल॥
खाना पति का गीत भ्रात के।
अच्छी बात नहीं है बिल्कुल॥
सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य"✍
निवासी -पुरदिल नगर ( सि० राऊ )
मो०-8273950927
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