दिल में बसी तेरी मूरत
वो श्याम मुरली वाले
मिलता नही शुकुन
दर्शन किये बिना
नैनो को मेरे तेरे दीदार की
आदत सी हो गयी है।
नित्य जाना तेरे दर पे
करना अरज चरण में
रसना को मेरी तुमसे
विनती करने की
आदत सी हो गयी है।
तुम ही तो एक मेरे
हमदर्द हो कन्हैया
दुख दर्द अपना तुमसे
कहने की आदत सी हो गयी है।
सुनोगे कभी तो आवाज मेरी
हरोगें व्यथा पीर मेरे हृदय की
भरोसा है मुझको कृपा पर तुम्हारी
दया की तेरे मुझको आदत सी गयी है।
मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर
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