राम
नील कमल के समान,
साँवरो सलोनो अंग,
वाम भाग सोहे अति,
मिथिलाकुमारी है i
स्कन्ध धनु विशाल,
कटि में कसे निसंग,
हाथ विकराल सर,
मानो चिनगारी है i
सिंह के समान वक्ष,
वीर रूप प्रति अक्ष,
शत्रु न टिके समक्ष,
ऐसे बल धारी हैं ।
भानु वंश दिनमान,
तेज शूरता निधान,
रघुवंश अवतंस,
वन्दना तिहारी है i
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तेज पुंज दया धाम,
सत्य साधना ललाम,
राघवेन्द्र अभिराम,
बार बार वन्दना i
भानु से प्रकाशवान,
उच्चता में हिमवान,
राम राम के समान,
बार बार वन्दना ।
सन्त हितकारी राम,
शत्रु मदहारी राम,
शर,चाप धारी राम,
बार बार वंदना ।
खेद ,भय हर्ता आप,
कर्ता और भर्ता आप,
दनुज संहरता आप,
बार बार वन्दना i
स्चनाकार
ङॉ० विमलेश अवस्थी
कविएवम् वरिष्ठ नागरिक
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