कुसुमित कुण्डलिनी ----
28/07/2021
------ शोषण -----
शोषण अत्याचार के , निर्धन लोग शिकार ।
तरस रहे हैं आज भी , तलाशते आधार ।।
तलाशते आधार , करे जो इनका पोषण ।
करते मिले हलाल , आज तक होता शोषण ।।
शोषण कोई तब करे , जब तक रहें गुलाम ।
मुक्त हुए उस बंध से , गया काम अरु नाम ।।
गया काम अरु नाम , रहे फिर जीवन तोषण ।
होता हिय उद्गार , समझ क्या आया शोषण ।।
शोषण नारी का हुआ , आदि काल पर्यन्त ।
कठपुतली नर हाथ की , समझे कैसे कन्त ।।
समझे कैसे कन्त , भाव का करते चोषण ।
करता मन विद्रोह , देख कर इनका शोषण ।।
शोषण अब तो बन्द हो , दो पूरा अधिकार ।
मूल धार से जोड़िए , कर उसका सत्कार ।।
कर उसका सत्कार , मंच पर कर उद्घोषण ।
प्रगति प्रखरता साथ , करो मत कोई शोषण ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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