सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

विजय मेहंदी

     डाo अब्दुल कलाम तुझे सलाम

    सलाम-        सलाम-           सलाम,
    डाo अब्दुल  कलाम    तुझे   सलाम।
    15-अक्तूबर    सन-19सौ इक्कतिस,
    दक्षिण  भारत  के  तमिलनाडु  प्रान्त,
    सन्निकट     रामेश्वरम   था      कस्बा,
    जन्म लिये धनुषकोटि  था       ग्राम। 
   डाo अब्दुल कलाम  तुझे      सलाम।
   सलाम--------सलाम---------सलाम,
   डाo अब्दुल कलाम    तुझे    सलाम।।

   प्राइमरी स्कूल में  शुरू किया   पढ़ाई,
   किया  स्नातक  विषय  रहा    विज्ञान।
   करने  को  भारतीय  फौज  के लाइन,
   तूँ      हेलीकाप्टर    किया   डिजाइन।
   छोड़ के   तूँ         रक्षा      अनुसंधान,
   थाम्ह    लिया   अंतरिक्ष    अनुसंधान।
   किया    शुरू     उपग्रह    का    काम,
   डाo  अब्दुल कलाम    तुझे    सलाम।
   सलाम-सलाम---------------------

   "रोहिणी" उपग्रह   आकाश   दिखाया,
   निकट   पृथ्वी    के    स्थापित    कर,
   किया   गौरवमई     अपना   योगदान,
   डाo अब्दुल कलाम       तुझे सलाम।
   सलाम-----सलाम------सलाम,------

   बने     "निदेशक"-   विकास   संगठन,
   सहित    तूँ   भारतीय रक्षा अनुसंधान।
  "अग्नी","पृथ्वी"और"आकाश"मिसाइल,
   कर  प्रक्षेपित   बन  गया     बेमिसाल,
   पदासीन      निदेशक      के    दौरान,
   डाoअब्दुल कलाम     तुझे     सलाम।
   सलाम-----सलाम---------------------

   तेरा विज्ञान   और     भारतीय रक्षा में,
   रहा   अद्वितीय    गौरवमई    योगदान।
   तुझे  सुशोभित "भारत रत्न"   सम्मान,
   डाo अब्दुल कलाम   तुझे       सलाम।
   सलाम---------सलाम-------सलाम,-

  "पोखरन"        परमाणु   -     परीक्षण,
   का              उत्कृष्ट          अभियान,
   को    दिये   सफलता पुर्वक   अंजाम,
   तब    से    "जय जवान-जय किसान"
   के  साथ-साथ  जुड़ कर "जय विज्ञान"
   का   नारा     गूँज     उठा   आशमान।
   डाo अब्दुल कलाम     तुझे   सलाम।।
   सलाम------सलाम--------

   किये    सुशोभित     "राष्ट्रपति"   पद,
   25-जुलाई  को  2002  के     दौरान।
   रहा अद्वितीय    और       गौरवशाली,
   प्रथम नागरिक       का         सम्मान।
   डाo अब्दुल कलाम     तुझे    सलाम।
   सलाम------सलाम-------------------
   तुझे प्रीति-विजय का    दिली  सलाम,
   सलाम ---------सलाम----------सलाम,
   डाo अब्दुल कलाम       तुझे   सलाम।

जय आवाम 🇮🇳🙏अमर कलाम 🌹🙏

कलमकार- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
कन्या कम्पोजिट इंग्लिश मीडियम स्कूल शुदनीपुर,मड़ियाहूँ,जौनपुर(उoप्रदेश)
📱9198852298

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम