सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

सोलहवाँ-2
क्रमशः....सोलहवाँ अध्याय (गीता-सार)
अहहिं असुर-सुर दूइ सुभावा।
दानव-देव भूतनहिं पावा ।।
    प्रबृति-निबृति नहिं जानहिं असुरा।
    कथन असत्य,चरित नहिं सुथरा।।
मानहिं जगत आश्रयइ हीना।
बिनु इस्वर जग मिथ्या-छीना।।
     स्त्री-पुरुष-मिलन जन भवहीं।
     काम-भोग-सुख लेवन अवहीं।।
अस जन मंद बुद्धि अपकारी।
जगत-बिनासक भ्रष्टाचारी।।
     दंभ-मान-मद-युक्त,न दाना।
     मिथ्यावादी जन अग्याना।।
यावद मृत्युहिं रत रस-भोगा।
बिषयइ भोग-अनंद-कुभोगा।।
     रहइ लछ्य बस तिन्हकर एका।
     काम-क्रोध-धन-लोभ अनेका।।
धन-संग्रह अरु चेष्टा-आसा।
करहिं इनहिं मा ते बिस्वासा।।
     मानहिं स्वयं सुखी-बलवाना।
      सिद्धि-प्राप्त ईस -भगवाना।।
बैभव-भोगी,रिपु जन-घालक।
बड़ धनवान,सकल कुल-पालक।।
     अपर न कोऊ मोंहि समाना।
     करब जग्य अरु देउब दाना।।
चित-मन-भ्रमित अइस अग्यानी।
असुर-सम्पदा-प्राप्त गुमानी।।
दोहा-मोह रूप के जाल महँ,फँसत जाँय अस लोग।
       सुनहु पार्थ ते जा गिरहिं,नरकइ-कुंड-कुभोग।।
                   डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                    9919446372    क्रमशः.......

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879