*माँ कलुषित विचार कभी न आये*
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माँ शारदे वाणी में मिठास दे,
माँ हमारी लेखनी में धार दे।
धमाँ भावों में ऊंची उडान दे,
मां मुख से निकले मधुर वचन।
कलुषित विचार कभी न आये,
माँ हम सब की हित की बात करे।
बैर भाव न हो किसी जन से,
हम सभी को तुम यह ज्ञान दो।
जीवन में सब का नित उल्लास रहे,
माँ हम सभी को यह वरदान दो।
जन -जन की वाणी निर्मल हो,
हर मुख से अमृत धार बहे।
हे माँ वीणावादिनी हमें वरदान दो,
हर दिन मां तेरा गुणगान करता रहूँ।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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