चौपाई
देख राम धीरज मन धारा।
कौशल्या का राज दुलारा।।
श्याम बदन करधनियाँ बाजे।
चंदन भाल मनोहर साजे।।
ठुमक ठुमक स्नेही पग राखे।
पग में रुनझुन पायल बांधे।।
धर्म-कर्म में जब मन साधा।
मन में रही न कोई बाधा।।
बन मित भाषी वाणी साधो।
तन सुन्दर,अतुलित बल बाँधो।।
धीरज से सब काज बनाओ।
ध्यान धरो मन अति सुख पाओ।
राम नाम का बड़ा सहारा।
भजे मन दिन रात अपारा ।।
सिया राम सब काज सवारें।
भव से मुझको पार उतारें।।
निशा अतुल्य
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें