कविता- चित्रांकन!
16-16 मात्रा भार!
झांसी रानी अवतार यही ,
आयी है भारत में प्यारी!
कंधे में बेटा लटका कर, लकडी वह लाती नितयारी!!
जंगल से लकडी़ लाकर वह,
भोजन को वही पकायेगी!
अपने प्रानी परिवार सभी,
अतिथों भोजन करवायेगी!!
धर्म,कर्म रत रहती निशदिन,
असहायों सेवा वह करती!
माँ भारत की वीर सिंहनी,
कभीज्ञ न मुख मोडा़ करती!!
गर्म, ठंड ,बरसात कभी हो,
वह सदा कर्म करती रहती!
चाहे कोई मजबूरी आये,
कर्म- निर्वाह नहीं छोड़ती!!
अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662
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