कृष्ण कन्हैया रास रचैया
श्यामल वर्ण धारी
नैन तिरछे कटारी
मुख मंडल छवि अति प्यारी
जन्म लिए गिरधारी।
मंद मंद मुस्काए हैं
आंखों में राधा की छवि बसाए हैं
देवीकी मैया के गोद से
बाबा वासुदेव को निहारे हैं।
टोकरी सिर पर डाले
पगड़ी सिर पर बांधे
सातों ताले खुल गए
कान्हा वृंदावन चल दिए
पांव पंखारण को तरसे यमुना
छूकर यमुना को धन्य किए
मंद मंद मुस्कुराते हुए
शेषनाग ने फन की छतरी बनाए
इंद्रदेव सहज सरल हो गए
यशोदा मैया की आंखों में निंदिया समाए
सो गए सब गांव वाला
नंद बाबा के घर पहुंच गए लाला।
चाहूं दिशा में फैली उजियारा
यशोदा के घर जन्मे है नंदलाला
ढोल ताशे बाज रहे हैं
गोपी गोपियां सब नाच रहे हैं।
देवी देवता सब तरस रहे
देखन को सब ललच रहे
फूल माला की बरसात भयो
कृष्ण कन्हैया यशोदा के घर जन्म लियो।
लाला को देखन
सभी देवी देवता है भी आए
पुष्पमाला की बरसात कराएं
कंस मामा ने पूतना भी पहुंचाएं।
गोविंद सब लीला जान रहे हैं
जान जान के रास रचाए है
पूतना के वध किए
कंस मामा के चाल को समझ गए।
शक्तिशाली अभिमानी का घमंड चूर हुआ
क्रोधित और भयभीत हुआ
बुद्धि मति मारी गई।
भविष्यवाणी कर गई शक्ति नारी।
तेरे अंत समय आने को है
मात पिता का अपमान किया
बहन बहनोई को कैद किया
तेरे पाप का घड़ा भर गया।
मौत तेरे दर पर खड़ी है
अंत समय आन पड़ी है
क्षमा मांग हो जाएगा अमर
नहीं तो धूल मिट्टी में मिलेगा तेरा सर।
कुमकुम सिंह
नागपुर महाराष्ट्र
Dil se sukhriya 🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएं