घनाक्षरी 1
भाषा वाद का विवाद,
प्रान्तवाद,क्षेत्र वाद,
जातिवाद,वर्गवाद,
मूल से मिटाइए i
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दुःख दैन्य रहे दूर,
शौर्य शक्ति भरपूर
शत्रुसैन्य का गुरूर,
गर्तमे मिलाइए i
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हित संग हो विवेक
एक राष्द्र मंत्र एक,
सिर्फ रहे एक टेक
खूब दोहराइए ।
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दीन दलितों का त्राण,
उचित पंथ निर्माण,
वन्दे मातरम् गान,
ठौर ठौर गाइए
***डॉ० विमलेश अवस्थी
Title: घनाक्षरी राम वन्दना*
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आर्य राम को नमन,
पुण्य धाम को नमन,
मेघ श्याम को नमन,
बार बार वन्दना ।
धर्म के धुरीण राम ,
कुशल प्रवीण राम,
नित्य ही नवीन राम,
बार बार अर्चना i
दीन रखवारे राम,
सन्त जन प्यारे राम,
धनुवाण धारे राम,
सद कर्म साधना i
सर्वकला सीखे राम,
भावना से दीखे राम,
मीठे और तीखे राम,
शारदूल गर्जना
रचनाकार
डॉ० विमलेश अवस्थी
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