कविता
अपनी हर हरकत से जितो, हर किसी के प्यार को।
हर्ष का सावन करो और,छेड़ दो युं बहार को।
हर घड़ी मुस्कान हो, हर चेहरा खुशनुमा रहे।
हर अदाओं से तुम अपने, जीत लो संसार को।।
बांट दो खुशियों की दौलत,फिर भी मालामाल हो।
त्याग और बलिदान से, जीवन की एक मिसाल हो।
व्रिक्ष बनकर रास्तों में, छांव बाटो खुश करो।
नदी जल सीतल बनो,व्यक्तित्व सिन्धु विशाल हो।।
कर्म का रथ रूक न जाए, हांकते रहना सदा।
जो बने ईमानदारी से, वो करना तुम अदा।
हक रखो इन्सानियत का, कर भला तो हो भला।
पर हितों की हित करो, यह कर्ज तुझपर है लदा।।।
Kavi anand Pandey
Sonebhadra up
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