पाँच दोहे
जल जीवन है
कुआँ, बावरी, ताल हम, देते यदि खुदवाय।
पशु,पक्षी,जन की दुआ,जब-जब प्यास बुझाय॥
जगह-जगह प्याऊ लगे,बुहत बड़ा सत्कर्म।
परहित हम करते रहें,"सत्य"सनातन धर्म ॥
हम अपने व्यवहार से,दें न किसी को ठेस।
नित बरसे हरि- हर कृपा,रहे न कोई क्लेश॥
जल जीवन है सब कहें,करें खूब उपयोग।
व्यर्थ नही बर्बाद हो, ऐसा करें प्रयोग॥
पानी रूप अनेक हैं, अलग- अलग हैं नाम।
आँख,नाक,सरि,सिंधु,तन,कूप ताल हरि धाम॥
सत्य प्रकाश शर्मा "सत्य"
निवासी-पुरदिल नगर ( हाथरस )
मो०8273950927
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