सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामकेश एम. यादव

यू. एन. ओ.!

यू.एन.ओ. तेरा  गम  बँटाने  कौन आएगा?
तू अपनी ढपली- राग कब  तक  बजाएगा।
अब कहाँ बचे  सच से  टकराने  वाले लोग,
झूठ   के  साये   से  बता  कौन   बचाएगा?
छोड़ दे  सारी  दुनिया  यदि  अपनी  पकड़,
बेचारा  अफगानिस्तान  तो वो मर जाएगा।
बह रही है  नदी  देखो रोज  वहाँ  खून  की,
फ़र्जअदाएगी की झूठी बस कसम खाएगा।
खून  सस्ता  हुआ और  पानी महंगा  हुआ,
गुत्थियां जहां की आखिर कब सुलझाएगा?
भड़काई  आग  किसने, ये  सबको  है पता,
ऐसे जख्मों को कब  तलक तू  सहलाएगा?
उठाते -उठाते  लाश  लोग  थक  जा रहे  हैं,
कारगर कदम न उठाया तो तू थक जाएगा।
कितने दिन तक  मातम  मनाएगी ये दुनिया,
मुझको लगता है कि मातम भी थक जाएगा।
कौन  तलवे   रोज  चाटे  उन  वहशियों  की,
एक दिन वहशी ही  वहशी को खा  जाएगा।
बचाया न यू. एन.ओ.अगर तू खुद जहां को,
तू   अपनी   ही  परछाई   से   डर   जाएगा।
अपने दिल के  आईने  में  झाँक यू. एन. ओ.
रोने के  लिए  खुद  तू  भी  न आँसू  पाएगा।
शांति-  सेना आखिर  तुम्हारी कर क्या रही?
तेरे  शौर्य  का  वो  परचम  कब  लहराएगा?

रामकेश एम. यादव (कवि, साहित्यकार), मुंबई

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879