सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पुनीत प्रदीप ध्रुव

*********** *ग़ज़ल***********
***
तमन्ना तू दिल की यूँ जाया नही कर
कहा किसने वादा निभाया नहीं कर

कदम मंज़िलों की तरफ चल सकें जो
ये किसने कहा तू बढ़ाया नहीं कर

बग़ावत करे आदमी मुल्क़ से जो
उसे कोशिशें कर बचाया नहीं कर

जो बर्बादियों की तरफ जा रहे हों
कदम सोच ले तू उठाया नहीं कर

नहीं दौर ख़तरों से यूँ खेलने का
कभी इस तरह आजमाया नहीं कर

ज़रूरत जहाँ पर न हो हर कहीं यूँ
यही ठान ले ग़ुल खिलाया नहीं कर
******
पुनीत प्रदीप ध्रुव भोपाली भोपाल मध्यप्रदेश,
******


*********** *ग़ज़ल***********
वज़्न-1222×4
मुनाफा देखकर यारी करेंगे ठान लेते हैं
यतीमों को सगा अपना यकीनन मान लेते हैं

किनारा उनसे कर लेते ग़ुमां पर जो रहें अक्सर
जरा सी बात करते ही उन्हें पहचान लेते हैं

हमारी ज़िल्लतों में भी रहें हम बादशाही में
नहीं झुकते किसी का भी नहीं एहसान लेते हैं

अमीरों में बहुत से ऐब मक्कारी लहू में जो
दिखाते हैं ग़ुमां जिसको यूँ कमतर जान लेते हैं

उन्हें तो चाहिए रिश्वत जिन्हें है भूख ज़र की यूँ
बरक्कत हो न हो रिश्वत मगर नादान लेते हैं

कई बहशी दरिन्दों को जो सम़झाइस अगर देंगे
वो एवज़ में करें बलवा यूँ सीना तान लेते हैं
******
पुनीत प्रदीप ध्रुव भोपाली भोपाल मध्यप्रदेश,26/08/2021
*******

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879