मापनी 2122 , 2122
मनोरम छन्द
सुबह से ही सत्य बोलो।
तुम दिखावा मत ठठोलो।
सत्य तो कदम- कदम बढ़ेगा।
झूठ बस पल -पल झुकेगा।
शाम को तुम भूल जाओ
बात सबकी मान जाओ।
झूठ की रस बून्द तोलो,
सुबह से ही सत्य बोलो।
सत्य जीते ,हार माने,
राम हर जीत को जाने।
धर्म रस में मान घोलो,
सुबह से ही सत्य बोलो।
बात दिल से आज तोलो,
रास कड़वा तोड़ डालो।
द्वार तुम ही राज खोलो।
सुबह से ही सत्य बोलो।
प्रवीण शर्मा ताल
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