बेटी
बिटिया तू है गुलाब सी कोमल,कमल सी तू है पावन
रंग सुगंध से घर महकाती कोयल सी सुरीली तेरी गुंजन
पर मेरी प्यारी बिटिया ,तू सुंदर भले गुलाब सी
साथ काँटों का भी तूने पाया है
कमल की तरह पूजा तुझको सभने
पर संग कीचड़ का भी साया है
तेरी कोयल जैसी मीठी गुंजन
कभी रुंधन भी बन सकती है
तेरे पावन श्वेत से बचपन मेँ
कभी कालिख भी लग सकती है
मैं तेरी माँ हूँ बस यही चाहूँ रब से
न तुझे कभी काँटों की चुभन मिले,न कीचड़ से तू हो मैली
सदा महके फूलों की तरह ,खुशियों से भरी रहे तेरी झोली
तू वादा कर मुझसे बिटिया ,गर कभी तुझे लगे दुःख से कांटे
या फिर बुरी नज़र की कीचड़
ना' डरना न कुछ छुपाना मुझसे
बस बढ़ती रहना इनको रोंधकर
नंदिनी लहेजा
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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