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विजय कल्याणी तिवारी

,,है कठोर अंतर मन जिसका,,
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है कठोर अंतर मन जिसका
उसके नीर बहे तो कैसे
गूंगे की अभिव्यक्ति बताओ
अपनी बात कहे तो कैसे।

रक्त शिराओं मे बाधित हो
जीवन का संकट आएगा
सांस - सांस पर दर्द बढ़ेगा
निज मन को क्या समझाएगा
जीवन दीफ जलाने वाले
किसको बांट रहे हो कैसे
गूंगे की अभिव्यक्ति बताओ
अपनी बात कहे तो कैसे | 

कोमल भाव मरे अंतस के
आवृतियां पाषाणों सी है
शब्दों को संधारित करते
उसकी वर्षा बांणों सी है
संवेदना शून्य का क्या है
वह मन प्रीत गहे तो कैसे
गूंगे की अभिव्यक्ति बताओ
अपनी बात कहे तो कैसे ।

विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.

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