सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

              नव गीत

             गीत गाता चल
                       ~~~
            
            जग में आया हैं बंदे,
            गीत खुशी के गाता चल।
            मात-पिता की सेवा से,
            मिले चारों धाम का फल।।

            यह धरती माता अपनी,
            जो पावन देवालय है।
            गीत खुशी के गाता चल,
            हर एक पत्थर हिमालय है।।

           आन-बान-शान निराली,
           कण-कण में मोती चमकें।
           गीत खुशी के गाता चल,
           इधर-उधर तू मत भटके।।

           पौधारोपण  हरियाली,
           जन-जन के मन भाती है।
           गीत खुशी के गाता चल,
           वसुंधरा अन्न खिलाती है।।
          
           संस्कृतियों का अपनापन,
           मनभावन प्यार लुटाता। 
           गीत खुशी के गाता चल,
           सुख-दु:ख तो आता रहता।।
     
        ©®
         रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)


.
                🙏वंदना🙏
                     ~~~
          मुर्गा बोला,हुआ सवेरा,
          चिं-चिं करती चिड़िया।
          माँ को नमन करो भैया,
          घर-घर फैले खुशियां।।

          सबसे पहले वो उठती,
          सब के बाद ही सोती।
          दिन भर प्यार लुटाती,
          इसलिए बरकत होती।।

          नित्य सुबह करें वंदना,
          हम माँ के उपकारो की।
          आओ सब मिलकर बोले,
          भारत के संस्कारों की।।
          🙏🙏🙏🙏🙏
           
         ©©
            रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879