जिंदगी
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शतरंज की तरह
होती है जिंदगी।
पैदल की तरह
दौड़ती है जिंदगी।
हाथी घोड़ा राजा
लड़े हैं जंग।
पागल की तरह
हंसती है जिंदगी।
जो लोग चूक जाते हैं
इस खेल में।
गहरी दरार कर देता है
मेल में।
गोटियों की तरह
नचती है जिंदगी।
सै मात कि तरह
उलझती है जिंदगी।
संभाल कर रखना कदम
संघर्ष में।
व्यवधान पैदा करता है
हर्ष में।
बुलबुले की तरह
होती है जिंदगी।
कंक्रीट की तरह
होती है जिंदगी।।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच
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