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सीमा मिश्रा बिन्दकी

आप सभी को बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
बिटिया

पिता के गेह मे बहती रसों की धार है बिटिया,
मातु के नेह के मोती का झिलमिल हार है बिटिया।

चरण पड़ते ही आंगन गेह का है झूमने लगता,
चंदा द्वार पर आकर कुहु संग कूकने लगता,
दीपक खिलखिलाते रोशनी का सार है बिटिया।
पिता के गेह मे बहती रसों की धार है बिटिया।

चंदन की सुरभि लाई कि हंसती खेलती आई,
शिव की जटाओं में हो गंग जैसे झूमती आई,
भाई के हांथ में बंधता खुशी का तार है बिटिया।
पिता के गेह मे बहती रसों की धार है बिटिया।

पिता के मान को करने सबल धरती में है आई,
मनुज की चेतना में मनुजता का रंग भर पाई,
शिवा बनके हिमालय के गुणों का भार है बिटिया।
पिता के गेह मे बहती रसों की धार है बिटिया।

पिता के गेह मे बहती रसों की धार है बिटिया,
मातु के नेह के मोती का झिलमिल हार है बिटिया।

रचना -
सीमा मिश्रा, बिन्दकी, फतेहपुर (उ० प्र०)
स्वरचित व सर्वाधिकार सुरक्षित

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