कुसुमित कुण्डलिनी ----
24/09/2021
------ आभारी -----
आभारी प्रिय आपका , दिये नेह सम्मान ।
काव्य कुंज के पुष्प से , करता मैं आख्यान ।।
करता मैं आख्यान , कृपा श्री हूँ बलिहारी ।
मिली मुझे पहचान , रहूँगा मैं आभारी ।।
आभारी मैं नित रहूँ , मिला तुम्हारा साथ ।
संग रंग ऐसे चढ़ा , गर्वित मेरा माथ ।।
गर्वित मेरा माथ , मिली ख़ुशियाँ सुख सारी ।
गढ़ते नव सोपान , प्रिये मैं हूँ आभारी ।।
आभारी गुरुदेव का , दिया मुझे गुरु मंत्र ।
भवबंधन के बीच में , रहता परम स्वतंत्र ।।
रहता परम स्वतंत्र , मोक्ष पद हूँ अधिकारी ।
दिखलाया सद्मार्ग , नमन है हूँ आभारी ।।
आभारी इस भीड़ में , लिया मुझे पहचान ।
आज आपके साथ हूँ , बना सफल इंसान ।।
बना सफल इंसान , सभी समझे अवतारी ।
मैं जानूँ बस भेद , सदा ही हूँ आभारी ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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कुसुमित कुण्डलिनी ----
23/09/2021
------ मज्जन -----
मज्जन कर गुरु ज्ञान से , निर्मल रखो शरीर ।
जीव दया व्रत पालना , जान सभी की पीर ।
जान सभी की पीर , प्रशंसित होगा सज्जन ।
आज अभी तैयार , चलो मन कर लें मज्जन ।।
मज्जन आवश्यक सखा , करो बहाना त्याग ।
करता है यह संतुलित , सारे तन के आग ।।
सारे तन के आग , नहीं हो दूषित गर्जन ।
तन मन दोनों शुद्ध , किया करता है मज्जन ।।
मज्जन सारे विश्व का , चल कर लें इक बार ।
भागे सारी गंदगी , चमक उठे संसार ।।
चमक उठे संसार , पुण्य फल होगा अर्जन ।
बदल चलें परिवेश , आज ही कर लें मज्जन ।।
मज्जन कर चमके यहाँ , आत्म शक्ति हो वृद्धि ।
नहीं असंभव कुछ कभी , सभी कामना सिद्धि ।।
सभी कामना सिद्धि , यहाँ कर रहे विद्वज्जन ।
एक सफल परिणाम , दिखाता अंतस मज्जन ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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