सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

#विधा:  स्वैच्छिक (कविता) 
#विषय: स्वैच्छिक
#शीर्षकः बेटी है तो कल है


शिक्षा का   आलोक   जगत    में, 
फैले हर  घर    उजियार   समझ। 
हर     सन्तति    बेटा  या     बेटी, 
सब धनी दलित रोशनार   समझ। 

शिक्षा     का   अधिकार   देश  में, 
है    संविधान   अधिकार   समझ। 
रूप  रंग  या   जाति  धर्म     बिन, 
ज्ञान ज्योति सुलभ बहार   समझ। 

सबको   शिक्षा     मिले   वतन  में, 
तब चहुँओर प्रगति विकास समझ। 
पढ़े     बेटियाँ   घर     घर   भारत, 
तब   खिले   वतन मुस्कान समझ। 

चहुँ ओर    प्रगति  सोपान     चढ़े, 
नव कीर्ति    देश   उत्थान  समझ। 
उन्मुक्त     उड़ानें    भरे   क्षितिज, 
 बेटियाँ  वंश    सम्मान     समझ। 

ज्योति पुंज  विद्या धन   समाज में, 
मानव    जीवन   सुखसार  समझ। 
ज्ञान रश्मि  जन  सोच  बदल शुभ,
नयी   राह   अभ्युत्थान      समझ। 

शिक्षा     सुविधा  हो सब   घर  में, 
निर्भेद     भाव     सरकार  समझ। 
पा  पढ़े   लिखे   बेटी   उत्तम  पद, 
तब  सबल   देश  आह्लाद  समझ। 

सर्वशिक्षा   हो   सफल    राष्ट्र  में, 
पढ़े   हर   बेटी    आधार   समझ। 
शिक्षा   कारण    परिमाण  जगत, 
समभाव   समाज  निर्माण समझ। 

तनया     सुशिक्षित     बहू  घर में, 
प्रीति  रीति  मधुर  आचार समझ। 
स्वर्ग  तुल्य  परिवार   सुखद  यश, 
शिक्षित     बेटी    उपहार   समझ। 

सब    खुशियों   का  सार  गेह में, 
शिक्षित     बेटी   शृंगार     समझ। 
कुल मानक  रच कीर्ति धवल जग, 
निर्माणक  सर्जक आधार   समझ। 

जब  बेटी   कुसमित चमन  खिले, 
शिक्षा   सुरभित  गुलज़ार  समझ। 
आ   मिलकर  ज्योति जलाएं हम, 
खिले  सुता कली   विज्ञान समझ। 

बेटी    है   तो    कल    है  समझें, 
मानवता   जग     उद्धार   समझ। 
मातृशक्ति       बेटी      ममतामय, 
सौहार्द     प्रीति   औदार्य   समझ। 

कवि✍ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक ( स्वरचित ) 
नई दिल्ली

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली