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व्यंजना आनंद मिथ्या

*घनाक्षरी ---*
*
*सृजन शब्द- --* 
          *राधिका* 
          *********
            
  राधिका है  कृष्ण प्यारी  ,
    साधिका सबसे  न्यारी   ,
       समर्पण भाव सदा ,
           कृष्ण की ही चाह है ।


पनघट के तीरे आना ,
   राधा को तुमको पाना  ,
        निभाने खातिर प्रीति  ,
             भक्तिन की राह है ।
          

मिट्टी में  खुशबू तेरी  ,
    चहुँओर तुम्हें हेरी ,
       सुना मुझे बंसी धुन ,
           सदियों की दाह है ।    
           

सुंदर सुखद प्यार ,
   मेरा भी ये मनुहार  ,
      बनाना समुद्र मुझे  ,
         निकलेगा वाह है ।
***************************

*व्यंजना आनंद " मिथ्या "*

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