*घनाक्षरी ---*
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*सृजन शब्द- --*
*राधिका*
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राधिका है कृष्ण प्यारी ,
साधिका सबसे न्यारी ,
समर्पण भाव सदा ,
कृष्ण की ही चाह है ।
पनघट के तीरे आना ,
राधा को तुमको पाना ,
निभाने खातिर प्रीति ,
भक्तिन की राह है ।
मिट्टी में खुशबू तेरी ,
चहुँओर तुम्हें हेरी ,
सुना मुझे बंसी धुन ,
सदियों की दाह है ।
सुंदर सुखद प्यार ,
मेरा भी ये मनुहार ,
बनाना समुद्र मुझे ,
निकलेगा वाह है ।
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*व्यंजना आनंद " मिथ्या "*
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