यह संजा गीत आजकल लुप्तप्राय हो चुके हैं।
श्राद्ध पक्ष में शाम को घर में दिवार पर गोबर से संजा बनातें हैं.. रंगों व फूलों से सजातें हैं..
गीत गातें हैं..
*स्वरचित संजा गीत *
काजल गजरा टीका लेकर आओ,
चूडी बिंदी झूमका लेकर आओ,
लाकर मेरी संजा को पहनाओ,
लाकर मेरी प्यारी संजा को पहनाओ,
काजल गजरा टीका लेकर आओ…
संजा का श्रंगार गोरी आरती करे,
संजा का श्रंगार बहना रोली करे,
संजा को सजाकर शरमा वो पडे,
काजल गजरा टीका लेकर आओ,
लाकर प्यारी संजा को पहनाओ,
लाकर मेरी संजा को पहनाओ…
संजा का श्रृंगार ननदी बिंदु करे,
संजा का श्रृंगार सारी सखियाँ करे,
करके श्रृंगार वो तो हँस हँस पडे,
काजल गजरा टीका लेकर आओ,
लाकर मेरी संजा को सजाओ,
लाकर प्यारी संजा को सजाओ…
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सुखमिला अग्रवाल भूमिजा
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
मुम्बई
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