हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी!
दीया रोशनी की जलानी पड़ेगी।
हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी,
ऐसा न सोचो, सजाये कोई राहें,
बनेंगी सहारा ये तेरी ही बाहें।
आँसू से होती न हल ये समस्या,
हिम्मत जहां को दिखानी पड़ेगी।
हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी!
दीया रोशनी की जलानी पड़ेगी।
परिचय तेरा है कुछ करके दिखाओ,
गगन सीढ़ियाँ जरा चढ़ के दिखाओ।
मंगल - चाँद नहीं दूर है तुमसे,
बस्ती वहाँ पे बसानी प ड़ेगी।
हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी!
दीया रोशनी की जलानी पड़ेगी।
बनों ऐसा फूल मुरझाना न आए,
खुशबू तुम्हारी जहां तक वो जाए।
अधरों पे सोया जो चिंता का बादल,
उदासी की रेखा मिटानी पड़ेगी।
हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी!
दीया रोशनी की जलानी पड़ेगी।
आँसू बहे न कहीं गंगा -जमन का,
सुन्दर हो वेश मेरे अपने चमन का।
सृजन की पवन फिर बहानी पड़ेगी,
हौसलों से राहें सजानी पड़ेगी!
दीया रोशनी की जलानी पड़ेगी।
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई
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