"बेटी दिवस"
बेटी के लिए कुछ शब्द..
🙋💁🙆🙅🙎🙋
मेरी "लाडली", शादमां बन गई है।
गुलशन की वो, बागबां बन गई है।
रही खेलती जो, कभी गोद में ही ,
अब वो मेरी, निगहबां बन गई है।।
कभी थी जो मेरे, गगन का सितारा,
अब खुद वही ,आसमां बन गई है।।
कभी नन्हे कदमों से, जो थी ठुमकती,
अब वो उफ़क पर, निशां बन गई है।।
कभी मेरे आंगन में,जो टिमटिमाई,
वही आज इक,कहकशां बन गई है।।
रही जो मेरी, जिंदगी का सवेरा ,
अंधेरों में वो ही,शमा बन गई है।।
यूं ही हमेशा रहे, खिलखिलाती,
रब की अता की दुआ बन गई है।।
श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ
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