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नूतन लाल साहू

हमें जल्दी जल्दी चलना है

मंजिल है बहुत दूर हमारी
हो जाय न पथ में रात कहीं
दिन भी जल्दी जल्दी ढलता है
हमें जल्दी जल्दी चलना है।
जग में है,इतना आपाधापी
कभी इधर उड़,कभी उधर उड़
बीत चली संध्या की बेला
जीवन पथ है टेढ़ी मेढ़ी।
हमसें मिलने कौन विकल है
बच्चें भी प्रत्याशा में खड़े है
यह सोच थका,दिन का पंथी
हो जाय न पथ में रात कहीं।
भव पार भी पहुंचे है,बहुत से
बात यह भी जानता हूं मैं
पर दिख रहा है,आंख के आगे
हर दिन,नया नया तमाशा।
भय और निराशा,बहुत है जग में
हमें नही घबराना है
इक पथ अगर बंद हो जाएं
तो नूतन पथ का निर्माण, हमें करना है।
विश्व तो निरंतर चलता ही रहेगा
एक पथ अपना भी बना लें
अपने सपने को सच करना है तो
हमें जल्दी जल्दी चलना है।
अनिश्चितताओं से भरा हुआ है
हमारा जीवन पथ
आत्मविश्वास हमें,नही खोना है
हम है ईश्वर का अंश
याद रखिए इस बात को
अपने ही हृदय तल में
ईश्वर को ढूंढना है, हमें।
मंजिल है बहुत दूर हमारी
हो जाय न पथ में रात कहीं
दिन भी जल्दी जल्दी ढलता है
हमें जल्दी जल्दी चलना है।

नूतन लाल साहू

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