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डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव

भगवान विश्वकर्मा जयंती

हे ! सृष्टि सृजनकर्ता विश्वकर्मा जी।
तुमको शत शत नमन प्रणाम मेरा।।

हे ! विश्व शिल्पी देव विश्वकर्मा जी।
तुमको कोटि -2 वंदन प्रणाम मेरा।।

तूने बनाया द्वापर में द्वारिका नगरी।
त्रेता युग में बनाये स्वर्णलंका नगरी।।

तुम ऐसे शिल्पकार वास्तु के ज्ञानी।
ब्रह्मा के पुत्र निर्माण सृजन स्वामी।।

इंद्रप्रस्थ निर्मित करे विश्वकर्मा जी।
सुंदर स्वर्ग भी बनाये विश्वकर्मा जी।।

त्रिदेवों ने निर्माण हेतु तुम्हें पुकारा।
नव निर्माण सृजन कर तूने संवारा।।

युग-युग से तुम श्रेष्ठ शिल्पकार हो।
सब देवी देवों के महाशिल्पकार हो।।

कल पुर्जों कारखानों के भी देवता।
तुम पूजे जाते हो विश्वकर्मा देवता।।

श्रमिकों मजदूरों को दे दो वरदान।
कार्य कुशल नित रहें हमेशा ज्ञान।।

17 सितंबर रहे विश्वकर्मा जयंती।
मालिक लेबर मनाएं सभी जयंती।।

हे ! वास्तु शास्त्री हे!श्रेष्ठ अभियंता।
हे ! सृजन देव हे! कुशल अभियंता।।

हे ! विश्वकर्मा भगवान तेरी जय है।
हे ! श्रेष्ठ शिल्पकार तेरी जय-2 है।।



रचयिता :
*डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
संरक्षक-यूपीएमएसएस,पीबीसी यूनिट,प्रतापगढ़
संपर्क : 9415350596

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