मन
दोहा
17.9.2021
बांध सदा मन को रखो,बिगड़ न जाए चाल ।
छोड़ दिया जो अश्व सा,बन जाता है काल ।।
मन में सरिता प्रेम की, बांधे सब संग डोर ।
उजली उजली है धरा ,मन का नाचे मोर ।।
सुख दुख एक समान है, मन को साधो यार ।
जीवन सुरमय है सदा , समझो इसे न भार ।।
मन पवित्र तब जानिए , निर्मल हो जब भाव ।
शीतलता सबको मिलें, मन की ठंडी छाँव ।।
चंचल मन को थामिए , सुखमय हो संसार ।
जीवन अच्छा बीतता, बन जीवन आधार ।।
निशा"अतुल्य"
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